भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्वर्ग / शादाब वज्दी / श्रीविलास सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक रिक्ति दिन में
एक रिक्ति, पतझड़ की ठण्डी हवा की लम्बी जम्हाई से भी अधिक रिक्त
एक रिक्ति
प्रतीक्षारत उसकी जो वहाँ होना चाहिए
                                   किन्तु जो नहीं है
और मेरे अशान्त रक्त का विलाप
मौन और धीरज के बाँध से परे ।

यहाँ हैं जा चुके वर्ष
तुम्हारी छवि अनुकम्पा की हरी उँगलियों संग
एक छोटी आकृति
एक भोर के साथ जो छिड़कता है प्रकाश की सुगन्ध :
तुम्हारी उत्साहपूर्ण हँसी के मध्य से
तुम्हारे क़दमों की लय के मध्य से
और विकास की भावना के स्पर्श से
दिन के सारे क्षणों के साथ
तुम्हारी दृष्टि के साथ जो शरणस्थल है मेरे अस्तित्व की ।

मैं किससे जोड़ सकती हूँ सम्बन्ध
इस चमत्कार का
कि एक छोटा सा पौधा
हो सकता है एक मज़बूत चट्टान जैसा
यायावर तूफ़ान का सहारा और स्वर्ग ?
अभी, यहाँ, तुम से दूर
है एक रिक्ति दिन में
एक रिक्ति मेरे हृदय में, प्रतिदिन ।

अँग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद : श्रीविलास सिंह

लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए
                            Shadab Vajdi
                         

(Translated from Farsi by Lotfali Khonji)