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स्वागत-गान - 3 / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
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आज खुल गया भाग हमारा।
जहाँ दिखाते थे दुख-सोते, बही वहाँ रस-धारा।
दिन फिर गये पड़ी धारती के, सूखा पौधा फूला;
हुआ आज जंगल में मंगल, मिला सुख समय भूला।
जो श्रीमान् श्रीमती को ले करके कृपा पधारे;
तो हुन बरस गया ऊसर में, काम सधा गये सारे।
ऐसे ही सुंदर दिन आवें, सुयश रहे जग छाया;
सदा सब सुजन जन के सिर पर बना रहे प्रभु-साया।