काँचनगंगा से भी सुन्दर
भागीरथी से जो पावनतर
ईश्वर से भी जनहित तत्पर
उस गंगा के स्वेद बिन्दुओ !
प्रणाम मेरा तुम्हें निरन्तर ।
सिर आँखों पर स्वेद बिन्दु
जिनसे जनमे जीवन सिन्धु
जिनके माथे इनकी माला
त्रिबार वन्दन उन सन्तों का ।
विजय उन्हीं की ! जीवन उनका !
मराठी भाषा से अनुवाद : रेखा देशपाण्डे