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हँसता आईना / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
डरते हैं सब के सब
मेले से गुज़रते
उस तम्बू से जहाँ अट्टहास कर रहे हैं आईने
हा हा हा हा
हू हू हू हू
हा हा हू हू
हा हा हू हू
उसको यक़ीन नहीं ज़रा-सा
होगा सामने किसी आईने के
हँसने लगेगा बेतहाशा
षडयन्त्रकारी है आईना
कम्बख़्त नहीं देखता उसकी उदासी
करता है अपमान सरेआम
उसको बेडौल तस्वीर दिखाता
उसे हँसने से काम है
कोई सामने आया कि
मज़ाक पर
उतर आता है
हा हा हू हू
हा हा हू हू
वह
खो देगा होश अगर
घूँसा तान देगा
हँसते
आइनों पर