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हँसी जहाँ ख़त्म होती है / रघुवीर सहाय

जब किसी समाज में बार-बार कहकहे लगते हों
तो ध्यान से सुनना कि उनकी हँसी कहाँ ख़त्म होती है
उनकी हँसी के आख़िरी अंश में सारा रहस्य है