Last modified on 6 दिसम्बर 2020, at 13:51

हंसो भाई पेड़ / माहेश्वर तिवारी

कहती है दूब
हँसो भाई पेड़
बाहर जितना देखते हो
धरती में
धसों भाई पेड़ ।

जड़ें बहुत गहरे ले जाओ
यहाँ वहाँ उनको फैलाओ
चील की तरह बाँहों पंजों में
आंधी को
कसो भाई पेड़ ।

चील किसे देती है सोचो
आसमान गुर्राए तो नोचो
गीत की तरह हरियाली पहनो
जन-जन में
बसो भाई पेड़ ।