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हथाई / हनुमान प्रसाद बिरकाळी
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जिण बाखळ
होंवती हथाई
बठै भींत है
जिण रै
ऐकै पासै रोवो-कूको है
ऐकै पासै गीत है
कुण है कोई रो
अब बठै मीत।