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हमरोॅ जिनगी के / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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हमरोॅ जिनगी के यहेॅ सिलसिला छै
जेकरा सें मिललोॅ छियै ओकरै सें गिला छै
चौकस रहलियै मंजिल लेली तैय्यो भी
कदम-कदम पर ठोकर ही मिललोॅ छै
चाहनें छेलियै इतिहास बनी देखावै लेॅ हम्में
बंद छै सब ठो द्वार बंद सब किला छै
दर्द हम्में आपनोॅ कहोॅ, केना सुनावाैं
सब मुकाम, सब मोड़ोॅ पर शिला ही शिला छै
दाद देतै जमाना एक दिन हमरा हिम्मतोॅ के
दलदल में फँसलोॅ विमल अबतक नै हिललोॅ छै।