भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमरोॅ देश महान छेलै / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमरोॅ देश महान छेलै
ज्ञान ध्यान सेॅ भरलोॅ छेलै
पहिनें जागलोॅ हम्मी छेलियै
देश-विदेश केॅ जगैने छेलियै
यही लेली तेॅ हमरोॅ देश
जगत गुरू कहलैने छेलै।
हमरोॅ देश पराधीन भेलै
अंग्रेजें हमरा खूब सतैने छेलै
देश प्रेमी नेता सबनें
आपनों-आपनों कुर्बानी देने छेलै
देश आाजाद तेॅ होइये गेलै
बाकी आजादी रहिये गेलै।
अत्याचार अनाचार के
बोलवाला
बढ़ले जाय छै
भ्रष्टाचारी नेता सबसें
देश रसातल जाइये रहलोॅ छै
जेतने दवा-दारू करै छै
बीमारी ओतने बढ़लोॅ जाय छै।