भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमरो दुलहा से फलां दुलहा / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हमरो दुलहा से फलां दुलहा
खेलऽ जेता बड़ी दूर हे
ओतऽ सऽ जे लएला दुलरूआ
हरिअर सुगबा
सुबगा बइसल मांझे ठाम हे
सभ केओ साजल जाइ बरिअतिया
सुगा लेल अंगुरी पसारि हे
हमहूँ तँ लेब बाबा अंगिया टोपिया
हमहूँ तँ जायब बरिआत हे
सभ बरिअतिया अँटकल दरबज्जा
सुगबा अँटकल आमक ठारि हे
सभ केयो निरेखथि जाइत बरिअतिया
सासु निरेखी सुगा ठोर हे
आइ हे माइ पर हे पड़ोसिन
सुगा जुनि नजरि लगाउ हे
वनहि के सुगबा वनहि उड़ि जायत
रहि जायत धीअहि जमाइ हे