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हमर देस भारत हे / राम सिंहासन सिंह

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धरती-गगन पुकार रहल जे हमर देस भारत हे।
अडिग हिमालय गरज-रहल जे हमर देस भारत हे।।

जहाँ जनमल वीर जवाहर राम-किसन आऊ गाँधी,
सत्य-अहिंसा के फैलवलन बड़े जोर के आँधी।
ई धरती हे वीर भगत के मौलाना-आजाद के थाती,
त्याग-तपस्या करुना के जहाँ घर-घर जल हे बाती।
सांति-धरम के फहरे पताखा वही देस भारत हे।
धरती गगन पुकार रहल जे हमर देस भारत हे।

करन-दधिचि, हरिश्चन्द्र के गूँज रहल हे अमर कहानी
ई धरती पर कौन जनमलन बलिदानी ऐसन दानी।
झर-झर बहऽ हे निर्मल गंगा-जमुना के धारा,
जेकर गुन बखानत सगरो सुरज-चाँद आऊ तारा।
फूटल किरनियाँ ज्ञान जहाँ जे वही देस भारत हे।
धरती गगन पुकार रहल जे हमर देस भारत हे।

जब-जब होयल धरम के हानी भगवान भी मान बढ़ौवलन
ले अवतार यही धरती पर दुस्टन के संहार भी कयलन
गीता-ज्ञान-कर्म के उपज यही यहाँ के सान हे।
दया, क्षमा आऊ त्याग-तपस्या भारत के बरदान हे
गूँज रहल जेकर बंसी ये वही देस भारत हे।
धरती गगन पुकार रहल जे हमर देस भारत हे।

चन्द्रगुप्त, चानक्य नीति कन-कन में हे फैल रहल,
मगध राज के गौरव गाथा जन-जन में हे भींग रहल।
बुद्ध महावीर के अमर पताका फहर रहल हे ई धरती पर
जेकर महिमा गावे सब मिल वही देस भारत हे।
धरती गगन पुकार रहल जे हमर देस भारत हे।

धन्य-धान्य से पूर्न ये धरती दुनियाँ के सिरमौर रहल हे
गौरव-गाथा इतिहास यहाँ के स्वर्नयुग जे नाम रहल हे
तुलसी-सूर-कबीर जहाँ भक्ति भाव बढ़वलन
महाराना आऊ लक्ष्मीबाई इतिहास के अमर बनवलन
तपः भूमि में दीपत रहल जे हमर देस भारत हे।
धरती-गगन पुकार रहल जे हमर देस भारत हे।

विषमता के देस कहा के एकता के पाठ पढ़वलक।
तरह-तरह विचार अपना के मौलिक बात बतवलक
धन्य ई धरती देस हमर हे जे हे गुन के आगर
थोड़े में जादा कहके ई भर देहे गागर में सागर
एक भाव के राग में गावे वहीं देस भारत हे।
धरती गगन पुकार रहल जे हमर देस भारत हे।