उठो मित्र, समाचार मिल चुका है
पूरे हो गए हैं तुम्हारे विश्राम के क्षण
अब मालूम हुआ है मुझे
कहाँ खो गया था
पवित्र चिह्नों में से एक वह चिह्न ।
सोचो तो कितनी ख़ुशी होगी हमें
यदि ढूँढ़ सकें हम वह चिह्न ।
हमें निकल जाना होगा सूरज निकलने से पहले
पूरी करनी होंगी तैयारियाँ एक रात में ।
देखो तो कैसा है आज की रात का आकाश !
पहले कभी नहीं दिखा वह इतना सुन्दर ।
उसका वह रूप मुझे याद नहीं रह सकेगा ।
अभी कल ही तो आसन्दी
इतनी उदास थी और इतनी निष्प्रभ,
सहमी-सहमी टिमटिमा रही थी चित्रा
और शुक्र ने तो दर्शन ही नहीं दिए,
घर अब सब चमकने लगे हैं
चमक उठे हैं सप्तऋषि और स्वाति ।
दूर नक्षत्रमालाओं के पीछे
चमकने लगे हैं नए-नए तारे
दिखने लगा है
आकाशगंगाओं का स्पष्ट और पारदर्शी धुँधलापन ।
क्या तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा यह रास्ता
जिस पर से हमें खोज निकालना है कल उसे ।
जाग उठे हैं आकाश पर अंकित अक्षर ।
उठाओ अपनी सम्पदा !
अपने साथ हथियार ले जाने की ज़रूरत नहीं ।
जूते कसकर पहनना
कसकर बाँधना अपनी कमर !
पत्थरों से भरा होगा हमारा रास्ता ।
चमकने लगा है पूरब ।
समय आ गया है अब हमारा ।
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह
लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए
Николай Рерих
Пора
Встань, друг. Получена весть.
Окончен твой отдых.
Сейчас я узнал, где хранится
один из знаков священных.
Подумай о счастье, если
один знак найдем мы.
Надо до солнца пойти.
Ночью всё приготовить.
Небо ночное, смотри,
невиданно сегодня чудесно.
Я не запомню такого.
Вчера еще Кассиопея
была и грустна и туманна,
Альдебаран пугливо мерцал.
И не показалась Венера.
Но теперь воспрянули все.
Орион и Арктур засверкали.
За Алтаиром далеко
новые звездные знаки
блестят, и туманность
созвездий ясна и прозрачна.
Разве не видишь ты
путь к тому, что
мы завтра отыщем.
Звездные руны проснулись.
Бери свое достоянье.
Оружье с собою не нужно.
Обувь покрепче надень.
Подпояшься потуже.
Путь будет наш каменист.
Светлеет восток. Нам
пора.