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हमारे दर्द, ग़म, आहें, सुकूं और प्यार साझा हैं / के. पी. अनमोल

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हमारे दर्द, ग़म, आहें, सुकूं और प्यार साझा हैं
मुहब्बत, भाईचारा, दोस्ती, तकरार साझा हैं

हमारे मुल्क की मिट्टी, हमारे गाँवों की गलियाँ
मकानों की छतें, दिल में बसे संसार साझा हैं

दिवाली, ईद, क्रिसमस, लोहिड़ी, होली या बैसाखी
हर इक उत्सव है अपना-सा, सभी त्यौहार साझा हैं

कई फिक्रें, शरारत, उलझनें, मस्ती, खुराफातें
परेशानी की कुछ लड़ियाँ, ख़ुशी के हार साझा हैं

सिखाने-सीखने, हँसने-हँसाने के कई मौक़े
रुलाने, डाँटने, लड़ने के सब अधिकार साझा हैं

बुरे पल में मदद करना, ज़रूरत पर खड़े रहना
वो अपनेपन के सब धागे, दिलों के तार साझा हैं

विवेकानन्द, टेरेसा, कलाम आज़ाद या नानक
हमारे ज़हन में मौजूद सब क़िरदार साझा हैं

तभी अनमोल जग में धूम हिंदुस्तानियों की है
यहाँ एह्सास मन के, इल्म के अंबार साझा हैं