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हमारे पेड़ / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
कितने अच्छे पेड़ हमारे
घनी छांह हमको देते हैं
ऊँचे होते सुंदर लगते
हरा भरा मन कर देते हैं
शाख हिला कर हमें बुलाते
नित्य निमंत्रण देते रहते
चिड़ियाँ गाती फुदक-फुदक कर
उनको खेल खिलाते रहते
पहले फूल खिलाते जी भर
फल भी हमको दे देते
खट्टे मीठे और रसीले
सभी स्वाद के हैं वे होते
फल पक जाते ही झुक जाते
विनम्रता का पाठ पढ़ाते
वर्षा लाते ठीक समय पर
प्रयावरण पवित्र बनाते
इन्हें काटना नहीं कभी भी
ये तो सबके प्यारे हैं
झूलों की शोभा बन जाते
गीत सुनाने वाले हैं।