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हमारे भीतर / अनिता भारती
Kavita Kosh से
देखो,
मुझमें बसता है एक अम्बेडकर
देखो,
तुममें बसता है एक अम्बेडकर
जो हमारी नसों में दौड़ते
नीले खून की तरह
ह्रदय तक चलता हुआ
हमारे मस्तिष्क में
समा जाता है
अरे, साथी!
निराश न हो
हमें पता है
जो यहाँ घुला है
वही उठेगा
इस मिट्टी से एक दिन
फिर दुबारा
अपनी प्रतिमा गढ़ते हुए
नया भीमराव