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हमें कौन पूछे है साहिबो ने सवाल में न जवाब में / मीर 'सोज़'
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हमें कौन पूछे है साहिबो ने सवाल में न जवाब में
न तो कोई आदमी जाने है न हिसाब में न किताब में
न तो इल्म अपने में है यहाँ के ख़ुदा ने भेजा है किस लिए
इसी को जो कहते हैं ज़िंदगी सो तो जिस्म के है अज़ाब में
यही शक्ल है जिसे देखों हो यही वज़ा है जिसे घूरो हो
जिसे जान कहते हैं आदमी उसे देखा आलम-ए-ख़्वाब में
मैं ख़िलाफ़ तुम से नहीं कहा इसे मानो या के न मानों तुम
मैं ने अपनी आँखों से देखा मैं के मिला हूँ उस की जनाब में
न सुनोगे सोज़ की गुफ़्तुगू जो फिरोगे ढूँढने कू-ब-कू
ये नशा है उस के बयान में के नहीं नशा है शराब में