भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हमें जिसने अभी रुस्वा किया था / दीपक शर्मा 'दीप'
Kavita Kosh से
हमें जिसने अभी रुसवा किया था
कभी उसने हमें सिजदा किया था
भरोसे का बिखरना था मुअय्यन,
ज़ुरूरत से बहुत-ज़्यादा किया था
किसी को ध्यान तो होगा नहीं,पर
किसी ने कल कोई वादा किया था
बहुत दिन बाद माना था वो मुझसे
कई दिन बाद जो झगड़ा किया था
अभी तो सोच कर घिन आ रही है
तुम्हारे प्यार में क्या-क्या किया था
भला किस का नतीजा है ये कहिये
अजी दिल आपने ये क्या किया था
तो इस के बाद क़ाफ़िर क्यों न होते!
ख़ुदा ने क्या कहा, ये क्या किया था?