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हमेशा. / पाब्लो नेरूदा
Kavita Kosh से
जो कुछ भी देखा मैंने
वह कभी नहीं बन सका रश्क का सबब
तुम अपने कांधे पर एक आदमी
का बोझ लिए आओ
अपने गेसुओं में उलझा लाओ
सैकड़ों को
या फिर अपने स्तनों और तलवों के दरमियान
समेटे हुए आओ असंख्य आदमियों के निशां
तुम एक नदी की तरह आओ
जो पट चुकी हो पूरी
खुद में डूबे हुए आदमियों से
नदी की तरह आओ
जो पट गई हो डूबे हुए आदमियों से,
जो उन्मत्त सागर से जा मिले
और समय की अनन्त धारा में
विलीन हो जाए!
उन सबको वहां लाओ
जहाँ मैं प्रतीक्षारत हूँ तुम्हारे लिए,
हम हमेशा अकेले रहेंगे
रहेंगे केवल मैं और तुम
इस भरी-पूरी पृथ्वी पर अकेले
जीवन शुरू करने की खातिर!
सन्दीप कुमार द्वारा अँग्रेज़ी से अनूदित