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हमेशा से रहा इस देश का चर्चा जमाने में / रंजना वर्मा

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हमेशा से रहा इस देश का चर्चा ज़माने में
लगे हैं लोग कितने ही इसे नीचे गिराने में

 
सफल लेकिन हुई कब योजनाएँ नामुरादों की
अभी बरसों लगेंगें शक्ति इस की आज़माने में

न कम कीं कोशिशें कमज़ोर भारत को बताने की
इसी ने विश्वगुरु का पद सदा पाया ज़माने में

अनेकों बार गिर-गिर कर उठा हिम्मत नहीं छोड़ी
इसे कब देर लगती पोंछ आँसू मुस्कुराने में

मिला कर हाथ पीछे से चलाते पीठ पर ख़ंजर
नहीं वे जानते है क्या मज़ा रिश्ता निभाने में

हिमालय है मुकुट इसका चरण धोता समन्दर है
लगी हैं रात दिन नदियाँ हरा इस को बनाने में

यही है स्वर्ग दुनियाँ का यहीं आनन्द की सरिता
यहाँ है ब्रह्म भी रत ज्ञान की महिमा सुनाने में