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हम उगाते रहें खेत में वह फसल / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

हम उगाते रहें खेत में वह फसल।
प्रेम के गीत संगीत लय वह ग़ज़ल।।

चाँद सूरज सुनें मुस्कुराये चमन।
सुन बहारें हँसे महफिलें हों असल।।

मौत के ख़ौफ से मत डरो तुम कभी।
याद आये जमाना खिलाओ कमल।।

शब्द को चुन सजाओ बनाओ लड़ी।
हार ऐसा बने की करें सब पहल।।

काफिया बिन न बनती कहीं भी ग़ज़ल।
कौन करता यहाँं है बहर पर अमल।।

हो बहर पर अमल तो बनेगी ग़ज़ल।
मत लिखो तुम कहीं भी चहल वह पहल।।