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हम उन सवालों को लेकर उदास कितने थे / अखिलेश तिवारी
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हम उन सवालों को लेकर उदास कितने थे
जवाब जिनके यहीं आसपास कितने थे
हंसी, मज़ाक, अदब, महफ़िलें, सुख़नगोई
उदासियों के बदन पर लिबास कितने थे
पड़े थे धूप में एहसास के नगीने सब
तमाम शहर में गोहरशनाश कितने थे