हम गयन अमीनाबादै जब,
कुछ कपड़ा लेय बजाजा मा।
माटी कै सुघर महरिया असि,
जहँ खड़ी रहै दरवाजा मा।।
समझा दूकान कै यह मलकिन
सो भाव ताव पूछै लागेन।
याकै बोले यह मूरति है,
हम कहा बड़ा ध्वाखा होइगा।।
हम गयन अमीनाबादै जब,
कुछ कपड़ा लेय बजाजा मा।
माटी कै सुघर महरिया असि,
जहँ खड़ी रहै दरवाजा मा।।
समझा दूकान कै यह मलकिन
सो भाव ताव पूछै लागेन।
याकै बोले यह मूरति है,
हम कहा बड़ा ध्वाखा होइगा।।