हम गीत प्यार के गाएंगे / चंदन द्विवेदी
जब नभ तारों से सज जाये एक गीत मधुर सा बजता है
जब रातें करवट लेती है फिर ख्वाब दिलों में सजता है
जब चाहत से ज्यादा विस्मय मन की अग्नि दे जाती है
फिर शीतलता की चाहत में बस याद तुम्हारी आती है
लेकिन तुम भी अब पास नहीं. .पहले जैसा मधुमास नहीं
ऐसे में अंतर्मन को हम बोलो कब तक समझाएंगे
तुम तक पहुंचे तो सुन लेना हम गीत प्यार के गाएंगे
मैं भी तन्हा तुम भी तन्हा क्या तन्हा ही रह जाएंगे
तुम तक पहुंचे तो सुन लेना हम गीत प्यार के गाएंगे
आंखों में गंगाजल ढोकर यादों का भागीरथ निकला
लेकर जग के ताने बाने मन ना जाने किस पथ निकला
मैं देख रहा अभिनय जग के, मंचों पर जबकि मैं ही था
नेपथ्य कह रहा पर्दों से, तेरा सूत्रधार तो तय ही था
लेकर नित नित नव भावों को हर मरहम को हर घावों को
हर पीड़ा के उल्लासों को कविता से हम सहलाएंगे
तुम तक पहुंचे तो सुन लेना हम गीत प्यार के गाएंगे
मैं भी तन्हा तुम भी तन्हा क्या तन्हा ही रह जाएंगे
तुम तक पहुंचे तो सुन लेना हम गीत प्यार के गाएंगे
परिजन का मान जरूरी था पर प्रियतम के सपने टूटे
जिनसे सांसों का बंधन था उस बंधन के धागे रूठे
मां की लोरी बस याद रही प्रिय आलिंगन कैसे भूले
सपनों की इक दोपहरी में थे, प्रेम मगन होकर झूले
स्मृतियों की चादर में तेरा मुख लिपटा दिखता है
मेरा मन उलझा जाता है जब प्रेम शब्द कोई लिखता है
नाड़ी के हर स्पंदन में तेरा ही ज्वर उतराता है
हर चित्र मंत्रणा करते हैं, हर बिंब बड़ा इतराता है
पर किस मुख से मैं बात करूं कैसे खुद का संताप हरूं
आने वाले कल के ईश्वर मुझपर क्यों कर इठलाएंगे
तुम तक पहुंचे तो सुन लेना हम गीत प्यार के गाएंगे