भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हम चुप रहेंगे / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
हम चुप रहेंगे
यह जानकार भी
कि चुप्पी एक खतरनाक रोग है
हमें जीना है इज्जत से
और रहना है समाज में
हम आँखें ढँक लेंगे
कहीं अन्याय देखेंगे
बहरे बन जाएंगे
जब किसी की चीख सुनेंगे
हमें खुद को
और अपने प्रिय-जनों को देखना है
सच बोले क्या इसलिए
कि मूक कर दिए जाएँ
न्याय का पक्ष लें
कि अपंग कर दिए जाएँ
नहीं,हम चुप रहेंगे
भले ही इंसान न रहे हम
शैतानियत हमसे शर्माए
उस ईश्वर से क्यों डरें
जिसे हमने देखा नहीं