हम   ज़िन्दगी   की  राह   खड़े   देखते   रहे 
झूठी   खुशी    की  राह   खड़े   देखते   रहे            
आयेगी  और मिटायेगी  जो  तीरगी-ए-ज़ेह्न
उस  रौशनी    की   राह   खड़े    देखते   रहे 
आपस की दुश्मनी का रहे अब न सिलसिला 
हम  दोस्ती   की   राह   खड़े    देखते   रहे 
सब- कुछ हड़प गया वो सुधारों की आड़ में 
जिस 'चौधरी'  की  राह   खड़े   देखते   रहे 
जो प्यार और वफ़ा के ही जज़्बे में गुम रहा 
उस  आदमी  की  राह   खड़े   देखते   रहे 
देकर दग़ा उन्हें भी मुख़ालिफ़ बना लिया 
जो आप ही  की   राह  खड़े   देखते   रहे
'दरवेश'  इस  उमीद में  बख्शेगा  वो सुकूं
मुख्लिस  नबी  की  राह  खड़े  देखते  रहे