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हम जिसे सबसे ज़्यादा प्रेम करते हैं / काजल भलोटिया
Kavita Kosh से
कई बार उसे अपने मन की बात कह नहीं पाते
उड़ते घुमड़ते मन को समेट लेते हैं
अपने सीने में कसकर
पर कई बार मन की बिखरन
समेट लेना आसान नहीं होता
फिर भी मन मारकर ही सही
उड़ता मन बुन लेता है
हजारों अनकही चुप्पियाँ
शायद इसलिये की चुप्पियाँ
सुन लिये जाने का दूसरा नाम ही है प्रेम!