कई बार उसे अपने मन की बात कह नहीं पाते
उड़ते घुमड़ते मन को समेट लेते हैं
अपने सीने में कसकर
पर कई बार मन की बिखरन
समेट लेना आसान नहीं होता
फिर भी मन मारकर ही सही
उड़ता मन बुन लेता है
हजारों अनकही चुप्पियाँ
शायद इसलिये की चुप्पियाँ
सुन लिये जाने का दूसरा नाम ही है प्रेम!