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हम मौसम से युद्ध करेंगे / अवनीश त्रिपाठी
Kavita Kosh से
धुंध बहुत है तुम रहने दो
हम मौसम से युद्ध करेंगे।।
जलता एक अलाव हमारे
मन में हरदम साथ रहेगा,
वृक्षों पर्वत घाटी सबके
संतापों का क्रम बदलेगा।
कुहरे की आदत गंदी है
अबकी उसको शुद्ध करेंगे।।
नभ तक पारदर्शिता वाली
अर्थ समझती सीढ़ी होगी,
मिथ्याओं का परिवर्तन कर
बस यथार्थ की पीढ़ी होगी।
मन में बैठा वहम मिटाकर
हर चेहरे को बुद्ध करेंगे।।
नदी ताल पोखर की भाषा
रेत नहीं, पानी समझेगा,
पुलिनों-पगडंडी का अंतर
झीलों का ज्ञानी समझेगा।
थरथर करती धाराओं में
जोश भरेंगे,क्रुद्ध करेंगे।।