हम लड़कियाँ / शिवराम
हम लड़कियाँ, हम लड़कियाँ, हम लड़कियाँ
तूफ़ानों से टक्कर लेती लड़कियाँ
हम मुस्काएं जग मुस्काएं
हम चहकें जग खिल-खिल जाए
तपता सूरज बीच गगन में
पुलकित और मुदित हो जाए
तारों के झिलमिल प्रकाश में
चंदा मामा देख लजाए
रात्रि-दिवस के मध्य खुलें जो खिड़कियाँ
हम लड़कियाँ, हम लड़कियाँ, हम लड़कियाँ
तूफ़ानों से टक्कर लेती लड़कियाँ
स्वेद हमारा भूमंडल को स्वर्ग बनाए
श्रम हमारा वन-उपवन में फूल खिलाए
बिना पंख के उड़ें गगन में
तारों से झोली भर लाएं
चट्टानों का चुम्बन लें जो
पिघले और तरल हो जाए
ज्यों सावन में उमड़े-घुमड़े बदरियाँ
हम लड़कियाँ, हम लड़कियाँ, हम लड़कियाँ
तूफ़ानों से टक्कर लेती लड़कियाँ
दीवारों को घर में बदलें
संबंधों में हम रस घोलें
आँगन हमसे चहके-महके
धरती डोले जो हम बोलें
सारी दुनिया निकले उसमें
हम जो अपनी मुट्ठी खोलें
ज्यों झोंका ठंड़ी बयार भरी दोपहरियाँ
हम लड़कियाँ, हम लड़कियाँ, हम लड़कियाँ
तूफ़ानों से टक्कर लेती लड़कियाँ
हम रचें विश्व को सृजन करें हम
दें खुशी जगत को कष्ट सहें हम
पीड़ा के पर्वत से निकली
निर्मल सरिता सी सदा बहें हम
दें अखिल विश्व को जीवन सौरभ
प्रेम के सागर की उद्गम हम
फिर भी हिस्से आएं हमारे सिसकियां
हम लड़कियाँ, हम लड़कियाँ, हम लड़कियाँ
तूफ़ानों से टक्कर लेती लड़कियाँ