हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के / प्रदीप
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंजिल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फ़िर उड़े बादल गुलाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
देखो कहीं बरबाद न होवे ये बगीचा
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग़ शहीदों ने बाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
दुनियाँ के दांव पेंच से रखना न वास्ता
मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता
भटका न दे कोई तुम्हें धोखे में डाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
एटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनियाँ
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनियाँ
तुम हर कदम उठाना जरा देखभाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
आराम की तुम भूल-भुलैया में न भूलो
सपनों के हिंडोलों में मगन हो के न झूलो
अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलों
उठो छलांग मार के आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के