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हम हैं बहता पानी बाबा / अजय पाठक
Kavita Kosh से
मिलती जुलती बातें अपनी मसला एक रुहानी बाबा
तुम हो रमता जोगी - साधु हम हैं बहता पानी बाबा
कठिन तपस्या है यह जीवन, राग-विराग तपोवन है
तुम साधक हो हम साधन हैं, दुनिया आनी-जानी बाबा
तुमने दुनिया को ठुकराया, हमको दुनिया वालों ने
हम दोनों की राह जुदा है, लेकिन एक कहानी बाबा
धुनी रमाये तुम बैठे हो, हम जलते अंगारों पर
तप कर और निखर जाने की हम दोनों ने ठानी बाबा
हृदय मरुस्थल बना हुआ है, और नयन में पानी है,
मौन साधकर ही झेलेंगे, मौसम की मनमानी बाबा।
रिश्ते नातों के बंधन से मुक्त हुए तुम भी हम भी,
अनुभव की बातें हैं अपनी अधरों पर ज्यों लानी बाबा