भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हरियाली / दिनेश बाबा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

होली, ईद, दशहरा में
रहलै सब दिन पहरा में
जे नै कभी सुनै ककरो
गिनियै होकरा बहरा में
नुनुआँ, नुनियाँ छै लगलो
आभी तलुक ककहरा में
कच कच से होलै कुकुहारो
रे, बे तोहरा तहरा में
बाबा हरियाली खातिर
गाछ लगावो सहरा में