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हरि हरि दुभिया सोहामन लागे हे / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हरि हरि<ref>हरे रंग की</ref> दुभिया<ref>दूब, दूर्वा</ref> सोहामन लागे हे।
फरि फरि<ref>फनकर</ref> दौना<ref>एक प्रकार का पौधा, जिसकी पत्तियों में तीव्र गंध होती है</ref> झुकि गेलइ हे॥1॥
घोड़वा दउड़यते अयलन दुलरइता दुलहा हे।
जिनखर<ref>जिनका</ref> अभरन<ref>आभरण</ref> अमोद<ref>फैलने वाली सुगंध, सुरभि</ref> लागे हे।
जिनखर पगिया<ref>पाग, पगड़ी</ref> केसर रँगे हे॥2॥
धाइ धुइ<ref>दौड़कर</ref> पइसल सुघइ सेजिया हे।
कहु धनि खेम<ref>क्षेम’कुशल, कुशल-समाचार।</ref> कुसल हे।
चलहु धनि हमर देसवा हे॥3॥
हम कइसे जयबो परमु तोहर देसवा हे।
रोइ रोइ मइया मरि जयतइ हे॥4॥
कलपि<ref>कलपि कलपि = विलाप करके</ref> कलपि बाबू रहि जयतन हे।
सँघवा<ref>साथ की</ref> के सखिया सँघे मोरा छूटि जयतइ हे।
कोरपिछुआ<ref>कोरपिछुआ भइया = सबसे छोटा भाई; जिसके बाद दूसरी संतान नहीं हुई हो</ref> भइया रूसि जयतइ हे॥5॥
एतना बचनियाँ सुनि के दुलरइता दुलहा हे।
सुनु धनि बचन मोरा हे॥6॥
मइया मोरा होतो<ref>होगी</ref> धनि तोहर मइया हे।
मोर बाबूजी तोर बाप हे।
मोर बहिनी होतो धनि तोहर सखिया हे।
मोर भुइया तोहर लहुरा<ref>लघु; छोटा; प्यारा</ref> देवर हे॥7॥
नइहरा के सुखबा परभु जी कइसे बिसरब हे।
उहाँ सुपती<ref>सुपती मउनी = छोटा सूप और डलिया, जिनसे छोटे बच्चे घरेलू खेल खेला करते हैं जिस प्रकार गुड्डा गुड़ियों से शादी-ब्याह और घर बसाने का खेल होता है, उसी प्रकार ‘सुपती मउनी’ से घर-गृहस्थी का खेल होता है</ref> मउनी कइसे खेलब हे॥8॥

शब्दार्थ
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