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हरी पन्नी का खेल / नरेन्द्र जैन
Kavita Kosh से
लगाकर आँखों में
हरी पन्नी का टुकड़ा
कहती है मुन्नी
दुनिया का रंग कित्ता हरा है
कित्ती हरी है नदी
आसमान
कित्ता हरा है
यह
पेड़
अब भी हरा है
मुन्ना
हरा है
छॊटे-छोटे हाथ
मेरी छोटी-छॊटी हथेलियाँ
मेरी आँख
कित्ती हरी है
लगाकर आँखों पर
गुलाबी पन्नी
कहती है चुन्नी
कित्ती गुलाबी है दुनिया
नदी कित्ती गुलाबी है
आसमान
गुलाबी है
गुलाबी है
आज
यह पेड़
चून्नू गुलाबी
मेरे छोटे-छोटे हाथ
मेरी हथेलियाँ
कित्ती गुलाबी हैं
मेरी आँखें।