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हरी हरी भूमि जहाँ हरी हरी लोनी लता / नंदराम

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हरी हरी भूमि जहाँ हरी हरी लोनी लता ,
हरे हरे पात हरे हरे अनुराग मे ।
कहै नन्दराम हरे हरे यमुना के कूल ,
हरित दुकूल हरे हरे मोती माँग मे ।
हरे हरे हारन मे हरित बहारन मे ,
हरी हरी डारन मे हरे हरे बाग मे ।
हरे हरे हरी को मिलन जात हरे हरे ,
हरी हरी कुँजन मे हरे हरे बाग मे ।


नंदराम का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।