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हरेक बात में हर इक खबर में रहता है / कुमार नयन

हरेक बात में हर इक खबर में रहता है
कहीं भी जाये वो मेरी नज़र में रहता है।

हम ऐसे शख्स को ज़ालिम कहें भी तो कैसे
जो दर्द बन के हमारे जिगर में रहता है।

कभी तो पलकों के साये में वो ठहर जाये
हवा में धूप में भी जो सफ़र में रहता है।

मिले कभी भी तो करता है बात फूलों की
वो एक शख्स जो पत्थर के घर में रहता है।

लहू-लहू है मिरा दिल मगर ये है ज़िंदा
न जाने किसकी दुआ के असर में रहता है।

निकल न पाऊं कभी उसके सोच से बाहर
कोई ख़याल हो उसकी डगर में रहता है।

तुम्हीं कहो न कि मैं क्या करूँ तुम्हारे लिए
मिरा तो दिल ये अगर और मगर में रहता है।