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हर्ष का हंस / केदारनाथ अग्रवाल

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हर्ष का हंस
दूध पर तिरता है
इस पर सवार
भूमि की सरस्वती
काव्य-लोक में
विचरती है

रचनाकाल: ०८-०६-१९७६, मद्रास