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हर इक फ़ैसला उस ने बेहतर किया / ख़ालिद महमूद
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हर इक फ़ैसला उस ने बेहतर किया
मुझे आँख दी तुम को मंज़र दिया
दिल-ए-ख़ूँ-चकीदा मुनव्वर किया
तो आँखों का सहरा समंदर किया
लकीरों को रौशन सितारे दिए
सितारों को अपना मुक़द्दर किया
वहीं डूबने का यक़ीं आ गया
जहाँ उस ने हम को शनावर किया
उजाला नफ़ी है जब उस ने कहा
अँधेरे में थे हम ने बावर किया