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हर क़दम, हर क़दम, हर क़दम / गुलाब खंडेलवाल
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हर क़दम, हर क़दम, हर क़दम
तेरे नज़दीक आते हैं हम
तेरा दिल तो धड़कता रहा
तू भले ही था चुप, बेरहम!
कुछ तो है तेरी आँखों में प्यार
और कुछ है हमारा भरम
जान ले ले मगर शर्त है
तेरे क़दमों पे निकले ये दम
वे अदायें कहाँ अब, गुलाब!
जिनपे मरने की खाई क़सम!