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हर ग़ज़ल से साथ चलती / विजय वाते

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हर ग़ज़ल से साथ चलती साथ गाती-सी लगे।
कौन है जो शब्द में जादू जगाती-सी लगे।

एक स्वर जो गुनगुनाकर कान में कुछ कह गई,
हाँ वही आवाज़ फिर-अब पास आती-सी लगे।

अर्थ पर, एहसास पर, आवाज़ पर, हैं बन्दिशें,
सब पे है प्रतिबन्ध लेकिन हूक आती-सी लगे।

शे'र जिस निस्तब्धता को और तीखा कर गया,
इस ग़ज़ल की आँच मुझको दूर तक जाती-सी लगे।