(राग भैरव-ताल कहरवा)
हर पदार्थ में देखो हरि को, नमन करो मनसे, सुख मान।
हर हालतमें देखो हरिका हितकर मंगलभरा विधान॥
अखिल विश्वमें सजा सब जगह देखो मृदु हँसते भगवान।
अतुल मधुरता-सुन्दरताका करते रहो दिव्य रस-पान॥
आने दो न पास तुम अपने शोक-विषाद-राग-भय-मान।
चिपटे रहो सदा पावन प्रभु-चरणोंमें, न रखो व्यवधान॥