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हर बात का एक न एक अर्थ होता है / नीलमणि फूकन

हर बात का एक न एक अर्थ होता है,
जैसे प्रेम का, कविता का, क्षिति जल पावक समीर का
अन्धे कुक्कुर के भूँकने का,
खून लगे कुर्ते की जेब में चिंचिंयाते
किसी टिड्डे का,
मतलब निकालो तो हर बात का कोई मतलब होता है।
अर्थ करने वाले की दस उँगलियों के छोर पर
नक्षत्रों में भी एक-एक अर्थ होता है;
जैसे छोटे बच्चे खेलते हैं काटाकूटी का खेल
अर्थ का खेल भी चलता रहता है उसी भाँति,
घायल शब्द ढूँढ़ते हैं रक्त-माँस का एक कण्ठ,
चलता रहता है प्रेमी और कवि का पागलपन,
हर शाम पेड़ों के सिसकते पत्ते ढूँढ़ते हैं
एक जीभ का नमकीन स्पर्श,
जलता रहता है
एक अनाम वृद्धा की हथेलियाँ दहता एक दिया।

हे परम कृपालु वाचक,
और एक अर्थ कहो
जो इस निपीड़ित को उसने नहीं बताया।


नीलमणि फूकन की कविता : 'हकलो क'थार एटा नहय एटा अर्थ थाके' का अनुवाद

शिव किशोर तिवारी द्वारा मूल असमिया से अनूदित