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हर मरहला हयात का पहला कदम लगा / रमेश तन्हा

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हर मरहला हयात का पहला कदम लगा
मंज़िल से आश्ना न मिरा रास्ता हुआ

जैसे कि ज़ीस्त में कोई अगला क़दम न था
हर मरहला हयात का पहला कदम लगा
खुश आ सका न तजरिबा कोई हयात का

धरती पे आसमान बराबर झुका रहा

हर मरहला हयात का पहला कदम लगा
मंज़िल से आश्ना न मिरा रास्ता हुआ।