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हवा और पानी और पत्थर / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / ओक्ताविओ पाज़
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रोज़े कैल्वा के लिए
पानी ने पत्थर को खोखला किया,
हवा ने पानी को बिखराया,
पत्थर ने हवा को रोका।
पानी और हवा और पत्थर।
हवा ने पत्थर पर की नक़्क़ाशी,
पत्थर बना पानी भरा कप,
पानी बह जाता और बनता हवा।
पत्थर और हवा और पानी।
हवा गाती है अपने मोड़ों पर,
पानी बहते हुए करता है कलकल,
गतिहीन पत्थर है ख़ामोश।
हवा और पानी और पत्थर।
एक है दूसरा और नहीं भी :
वे अपने खोखले नामों में से
गुज़रते हैं और हो जाते हैं ग़ायब।
पानी और पत्थर और हवा।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’