पानी फाड़ता है अपनी ही छाती को
एक रहस्यमयी आवाज़ को अपनी ताक़त बतला कर
हवा भय को समर्पित करती अपना विलाप
गूँज बनती है टकरा कर
रचनाकाल : 21 अगस्त 2005, रोम
अंग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस
पानी फाड़ता है अपनी ही छाती को
एक रहस्यमयी आवाज़ को अपनी ताक़त बतला कर
हवा भय को समर्पित करती अपना विलाप
गूँज बनती है टकरा कर
रचनाकाल : 21 अगस्त 2005, रोम
अंग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस