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हवा बहे रसे-रसे घुमड़इ कजरिया / मगही

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हवा बहे रसे-रसे घुमड़इ कजरिया,
जिया कहे चल-चल पिया के नगरिया।

जहिया से सइँया मोरा गेलन विदेसवा,
आवे न अपने न भेजे कोई सनेसवा।

लिलचा के रह जाहे ललकल नजरिया.
जिया कहे चल-चल पिया के नगरिया।

जाड़ा जड़ाई गेलई सउँसे ई देहिया,
गरमी में सब जरई सबरे सनेहिया।

जियरा डेराय रामा छाय घटा करिया
जिया कहे चल-चल पिया के नगरिया।