हसरतें ले गए / दाग़ देहलवी
हसरतें ले गए इस बज़्म से चलने वाले
हाथ मलते ही उठे इत्र के मलने वाले
वो गए गोर-ए-गरीबाँ*पे तो आई ये सदा--- आशिक़ की क़ब्र
थम ज़रा ओ रविश-ए-नाज़ से चलने वाले
देखिए क्या हवा लाए मेरे नामे का जवाब
पास उनके हैं बहुत ज़हर उगलने वाले
इन जफ़ाओं पे वफ़ा करिए न करिए लेकिन
दिल बदलता नहीं ओ आँख बदलने वाले
शर्म आलूदा*निगाहें तो करेंगी बिस्मिल------शर्म से भरी
अब कोई आन में ये तीर हैं चलने वाले
दिल ने हसरत से कहा तीर जो उसका निकला
देख इस तरहा निकलते हैं निकलने वाले
दिल-ए-बेताब वो आते हैं ख़बर आई है
सब्र कर सब्र ज़रा मेरे मचलने वाले
इमतेहान तेग़-ए-जफ़ा*का जो उन्हें हो मंज़ूर-----अत्याचार की
बच- चा कर अभी टल जाते हैं टलने वाले
गरमि-ए-सोहबत-ए-अग़यार*के शिकवे पे कहा---- दुश्मन के अधिक पास रहने पर
आप ऎ दाग़ हमेशा के हैं जलने वाले