हाँ रे, मोरे भरत उठि भंजत हाथ / भोजपुरी
हाँ रे, मोरे भरत उठि भंजत हाथ, हम ना जइबों रघुपति के साथ
मारत रितुदल रितुआ वान, कंचन कोट देत भहराय,
पलक छानि भाँजे लछुमनजी का शक्ति लगी, ए राम रघुपति मन सोचे
लक्षुमनजी का शक्ति लगी।१।।
माघहिं मासे चूअत बसंत, नाहीं त मदोदर सुनु पिया कंत
पिय देई डार, राम गृही पार, नाहीं त राम दीहें निरवंश
बचे नाहीं नाहीं कोई, लछुमनजी का शक्ति लगी।।२।।
हाँ रे फागुन रंग उठे चहुँ ओर, लछुमन बिना राम बहुते उदास
जाहू मोरे लछुमन रहितने आजु, हमहूँ खेलतीं गढ़ लंका में फाग
मचे जब से होरी, लछुमनजी का शक्ति लगी
राम रघुपति मन सोचे, लछुमनजी का शक्ति लगी।।३।।
चइत मासे न गेरुआ गंभीर, धावहु-धावहु मोरे हनुमंत वीर
जाहु धवलागिरी परबत सजीवन धान, नाहीं त लछुमन तेजिहें परान
राम नाहीं जीह, लछुमनजी का शक्ति लगी ।।४।।
बइसाखा मासे तिरिया भिपुल अवगाह, लछुमन बिना मोर कटक उदास
आधी रात जलकोपी नाहीं होय, हमहूँ मरब जहर-विख खाय
अवध नही जायेब, लछुमनजी का शक्ति लगी।।१।।
जेठहिं लछुमन भइले तैयार, लंका के छेंकलन दसो दुआर
कड़बड़ लंगा, इ सरजूग, राम के जन अइले हुहूत
घेरे जइसे लंका, लछुमनजी का शाक्ति लगी। राम मन सोचे.।।६।।
आषाढ़ मास घटा घनघोर, सवरन से होइहें मेघनाथ जौर
मारत खनसे उड़िलै आकाश, जांहि गिरिहै सिलोचना का पास
लछुमनजी का शक्ति लगी। राम रघुपति मन साचे.।।७।।
सावन मास रावण से जूझे, अभरन कापड़ पहिरत सूत
कुंभकरन रावन ऐसन वीर, जाइ गरै सगरवा के तीर सजन सब लेके,
राम रघुपति मन सोचे, लछुमनजी का शक्ति लगी ।।८।।
भादोहिं हांक दैत हनुमान, गरजत-ठनकत भइले बिहान
जइसे गरजत रहनिया के बोइसे मड़वगड़ लंका के घोर
चरित्र सब लखि गये, लछुमनजी का शक्ति लगी।।९।।
कुआरहिं कहत मदोदर राम, चलहु कंत बन असुतुन वीन
सीझत राम अउर कुछ दीन, पगले या पाइब, लछुमनजी का शक्ति लगी।
राम रघुपति पन सोचे, लछुमनजी का शक्ति लगी ।१0।।
कातिक करत जतर पहिचान, बोलत राम जे शीतल बात बोलेली जानकी
बहुत दिनो हो बीचे देवमुन के संग छोड़ि व रइनि बहुत दिन बीते,
राम रघुपति मन सोचे, लछुमनजी का शक्ति लगी ।।११।।
अगहन सीता के आगे दिन, पीछे दीतो नजर बजाय
लंका के राज भवीखन दीन, पुनि सब आयो, लछुमनजी का शक्ति लगी।।१२।।
पूसहिं गे बरहो मास, बन से लवटेले लछुमन-राम
मिले सबको से, लछुमनजी का शक्ति लगी।
राम रघुपति पन सोचे, लछुमनजी का शक्ति लगी।
जो कोई गावे बरहो मास, ले बइठे बैकुंठ के धाम
घरहिं भगवती मंगल गावे, बइठल भरत चवंर डोलावे
राम रघुपति मन सोचे, लछुमनजी का शक्ति लगी ।