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हाँ रे, रंगी-चंगी घइला के पाट-सूत बीरवा / भोजपुरी
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हाँ रे, रंगी-चंगी घइला के पाट-सूत बीरवा,
कि चलली जमुनवा पनिया भरे।।१।।
घइला जे धइली जे कुँइयाँ के जगतिया, गेडुली खूँटा लटकवले,
घइला भरीय-भरी अररा चढ़वले, हेरेले पूरुब मूँहे बाट हे।।२।।
घोड़वा चढ़ल अइले कानू रइया रसिया, रचि एक घइला अलगाव।।३।
एक हाथे कानू रइया घइला अलगवले हो, दूजे जोरले रे सनेहिया,
छोडू-छोडू कानू रइया हमरो अँचरवा,
कि घरवा रोवत होइहें गोद के रे बलकवा।।४।।