भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु - 1 / ऋता शेखर 'मधु'
Kavita Kosh से
1.
नभ सिन्दूरी /
लौट आई चिड़िया /
पुलका नीड़।
2.
सांध्य नायिका /
फैला रही आँचल /
लौटे पथिक।
3.
नभ में भीड़ /
तारे ग्रह नक्षत्र /
चाँद अकेला
4.
उठो मुनिया /
दीया बाती लगाओ /
आयी है साँझ
5.
चाँद की पार्टी /
साँझ के साथ आई /
निशा सहेली।
6.
ब्रह्म मुहुर्त /
पिरो रही मालिन /
शुभ-सुगंध।
7.
कुशल मिस्त्री /
तृण तृण सजाई /
बया ने नीड़।
8.
हवा धुनिया /
रेशे रेशे में उड़ी /
मेघों की नमी।
9.
विज्ञानी सोच /
लोहार की जाँबाजी /
वायु में यान।
10.
महँगे जूते /
सस्ती-सी मरम्मत /
रास्ते का मोची।