हाइकु / भाग 2 / कुमुद बंसल
26
बैठकर माँ
मोटी मूँज की खाट
जोहती बाट।
27
अलस–भोर
माँ चुगती थी फूल
नाचता मोर।
28
आँवल–छाँह
नाचता था मयूर
माँ डाले दाना।
29
बिना माँ के
जीवन सदा सूना
दु: ख दोगुना।
30
मीठा बोलती
वो मेरी बूढ़ी नानी
सदा सुहानी।
31
यादों में बसे
आटे के गुलगले
चाश्नी में ढले।
32
है स्मृति-वन
आँगन उपवन
मादक मन।
33
चौमुखा दिया
जलता शाम ढले
तुलसी-तले।
34
मंदिर सूने
अनजले हैं दीप
छूटा संगीत।
35
शंख है मौन
चुप हुए मृदंग
बजाए कौन।
36
सराहनाएँ
होतीं संजीवनी–सी
मिटे व्यथाएँ।
37
जख़्म-सी लिये
नवीन मोड़ दिये
हँसी के लिए।
38
रिश्ते–पतंग
थामे रखना डोर
छूटे न संग।
39
रिश्तों की सन्ध्या
जुगुनू–सी चमकी
रही दमकी।
40
नेह से भरे
रिश्तों में उगे काँटे
शहद झरे।
41
हरेक क्षण
फुहार–से बरसें
सम्बन्ध–घन।
42
युग बदले
ले ले के करवटें
रिश्ते न टूटें।
43
रही मैं प्यासी
रिश्ते–दरिया–नीर
बढ़ती पीर।
44
आज का दिन
रह जाता सूना–सा
हाइकु बिन।
45
नहीं अकेली
हर कदम साथ
सखा सहेली।